*वाहवाही के लालच में जांन हथेली पर रखता है पत्रकार वशीर अहमद पत्रकार बेबाक़ मंच*
पत्रकार अपनी व अपने परिवार की नहीं करता है चिंता
बदायूँ । पत्रकारिता की जिंदगी जीना मतलब अपनी व अपने परिवार की जिंदगी जोखिम में डालना है। कोरोना महामारी में अपनी जांन हथेली पर लेकर घूमने बाले जुझारू पत्रकार को अपनी व अपने परिवार की जांन की बिल्कुल भी चिंता नहीं है। कोरोना का केस का पता चलते ही पत्रकार अपनी जांन की बिना परवाह किये धटना स्थल पर सबसे पहले पहुंचने की कोशिश करता है । और फिर उस महान पत्रकार को उस पत्रकारिता के बदले में मिलता क्या है सिर्फ और सिर्फ झूठी वाहवाही ।
आजके दौर में पत्रकारिता करना मतलब अपनी जांन की बाजी लगाना पत्रकार की जिंदगी खतरे से खाली नहीं है। मगर फर्जी दलाल पत्रकारों की सख्या बडने की बजह से सही जुझारू पत्रकारों को लोगो ने पहचानना भी कम कर दिया हैं। जबकि आज इस वेइमानी के दौर में फर्जी पत्रकारों की भरमार दिखाई देने लगी है। साथ ही उन फर्जी पत्रकारों की तो प्रशासनिक अधिकारियों से खूब पटरी खाती दिखाई देती है। इन फर्जी पत्रकारों की भीड़ ने पत्रकारिता के नाम को पूरी तरह बदनाम करके रख दिया है। बहुत से पत्रकार तो ऐसे भी देखने में आते हैं। जिनका कोई अखबार व चैनल है ही नही प्रशासन को चाहिए की पत्रकारिता की दुनियां को गंदे दलदल में पहुचाने बाले फर्जी पत्रकारों की पत्रकारिता व उनकी दलाली पर रोक लगाकर लगाये। ताकि पत्रकारिता का स्तर को लोग़ गलत नजरों से न देखे।