मजहब ,जाति, नस्ल ,रंग और वर्ग नहीं देखती महामारी- प्रधानमंत्री 

मजहब ,जाति, नस्ल ,रंग और वर्ग नहीं देखती महामारी- प्रधानमंत्री 


शताब्दी का तीसरा दशक उलट- पलट के साथ शुरू हुआ है। कोविड-19 कई तरह की उथल-पुथल मचा रहा है ।मेरे लिए इन दिनों घर नया दफ्तर है इंटरनेट नया बैठक कक्ष और कुछ समय के लिए सहकर्मी के साथ ऑफिस ब्रेक इतिहास की बात हो चुका है। मैं इन बदलावों से तालमेल बैठाने में जुटा हूं, कोविड-19 के बाद दुनिया में नए अवसर पैदा होंगे और भारत नेतृत्व कर सकता है। बैठक चाहे मंत्रियों या अधिकारियों के साथ हो या विश्व नेताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से कर रहा हूं। जमीनी हालात जानने के लिए समाज के कई तबकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करता रहता हूं। एनजीओ ,सिविल सोसायटी समूह व सामुदायिक संगठनों से लंबी बातचीत हुई है। रेडियो जॉकी का काम करने वालों से भी वार्ता की है इसके अलावा मैं रोज कई कॉल करता हूं। समाज के अलग-अलग वर्गों से उनकी राय जानने का प्रयास करता हूं। इस समय लोग किस तरह अपना काम कर रहे हैं मैं उसे देख रहा हूं ।हमारे फिल्म स्टार रचनात्मक वीडियो बनाकर जनता को घर में रहने का संदेश दे रहे हैं। गायक ऑनलाइन संगीत कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, शतरंज के खिलाड़ी डिजिटल माध्यम से इस खेल को खेल रहे हैं।