*अंग्रेजी में एक कहावत है:- Every cloud has a silver lining*

*अंग्रेजी में एक कहावत है:- Every cloud has a silver lining.*
यह कोरोना पर भी लागू होता है।  सोशल मीडिया में लोग तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं सड़कों पर नीलगाय और हिरणों के विचरण की।  यह भी कि प्रदूषण में भारी कमी आयी है।  लेकिन इसके दुसरे पक्ष के ऊपर विचार कीजिये।  अस्पतालों में OPD बंद है; इसके बावजूद इमरजेंसी में भीड़ नहीं है। तो बीमारियों में इतनी कमी कैसे आ गयी? माना, सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं; इसलिए सड़क दुर्घटना नहीं हो रही है।  परन्तु कोई हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज या हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी नहीं आ रही हैं। ऐसा कैसे हो गया की कहीं से कोई शिकायत नहीं आ रही है की किसी का इलाज नहीं हो रहा है? दिल्ली के निगमबोध घाट पर प्रतिदिन आने वाले शवों की संख्या में 25-30 प्रतिशत की कमी आयी है। दिल्ली छोड़िये साहब बनारस का हाल देखे हरिश्चन्द्र घाट पर औसतन प्रतिदिन 80 से 100 शव आते थे आज करोना के माहौल मे प्रतिदिन 20 या  25 डेड बॉडी आ रही हैं इसी तरह मणिकरणिका घाट पर भी यही हालात वहॉ के डोम राज परिवार भी आश्चर्य चकित होते हुए बताते है की ये सन्धि मौसम है (जाड़े से गर्मी मे जाना) इस समय हर साल डेड बॉडी मे बढ़ोत्तरी होती है परन्तु पता नही क्यो भारी कमी है डेड बाडी की जबकी केवल BHU  से प्रतिदिन10 से 15 शव आते थे वो एक दम बन्द है अस्पतालों में जो मरीज भर्ती हैं वो सब पहले के है  नये  मरीज की भर्ती नही हो रही तो वाकई मे ये आश्चर्य चकित करने वाला है की सारी बीमारी  गायब है क्या कोरोना वायरस ने सभी बिमारियों को मार दिया...?  नहींl यह सवाल उठाता है मेडिकल पेशा के वाणिज्यीकरण का।  जहाँ कोई बीमारी नहीं भी हो वहां डॉक्टर उसे विकराल बना देते हैं।  कॉरर्पोरेट हॉस्पिटल के उद्दभव के बाद तो संकट और गहरा हो गया है।  मामूली सर्दी-खांसी में भी कई हज़ारों और शायद लाख का भी बिल बन जाना कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं रह गयी है।  अभी अधिकतर अस्पतालों में बेड खाली पड़े हैं।  मैं डॉक्टरों की सेवा की अहमियत को कम  करने की कोशिश नहीं कर रहा हूँ।  कोविद १९ में जो सेवा दे रहे हैं उन्हें मैं नमन करता हूँ।  लेकिन डर  कुछ ज़्यादा ही हो गया है। बहुत सारी समस्याएं डॉक्टरों के कारण भी है।  इसके अलावा लोग घर का खाना खा रहे हैं, रेस्तराओं का नहीं।  इससे भी फर्क पड़ता है।  अगर System अपना काम ठीक से करे और लोगों को साफ पानी पीने का और शुद्ध  भोजन मिले तो आधी बीमारियां ऐसे ही खत्म हो जाएंगी।  कनाडा में लगभग ४-५ दशक पूर्व एक सर्वेक्षण हुआ था। वहां लम्बी अवधि के लिए डॉक्टरों की हड़ताल हुई थी।  सर्वेक्षण में पाया गया कि इस दौरान मृत्यु दर में कमी आ गयी। स्वास्थ्य  हमारी जीवनशैली का हिस्सा है जो केवल डॉक्टरों पर निर्भर नहीं है।  यह एक पेशागत यथार्थ है कि डॉक्टर हमेशा चाहेगा कि ज्यादा से ज्यादा मरीज उसके पास आए ,वकील  हमेशा चाहेंगे कि उसके पास अधिक से अधिक विवाद आये ।  जो भी हो, lockdown से परेशानियां हैं जो अपरिहार्य हैं लेकिन इसने कुछ ज्ञानवर्धक एवं दिलचस्प अनुभव भी दिए हैं।  ज़रा सोचिये...!

आशीष Kr. उमराव पटेल