शराबियों का योगदान


 


 देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने मेंशराबियोंका महत्वपूर्ण योगदान है| 


देश में जब कभी पेट्रोल के दाम या प्याज के दाम तिल मात्र भी बढ़ते हैं तो आलोचनाओं का बाजार गर्म हो जाता है ।


विपक्षीयो द्वारा धरने प्रदर्शन किए जाते हैं, जनता भी कभी दाल,प्याज ,पेट्रोल के दामों पर नाराजगी जाहिर करना नहीं भूलती । सियासत में एक दौर ऐसा भी आया कि प्याज की बढ़ी हुई कीमत के मुद्दे पर सरकार ही गिर गई थी । अक्सर महंगाई के मुद्दे पर हमने सरकार को घिरते देखा है । इन मुद्दों में मुख्यतः खाने पीने वाले सामान ,स्कूल फीस, पेट्रोल ही केंद्र में रहे हैं!


इसके उलट शराब ,सिगरेट, गुटखा ,पान मसाला ,जैसे नशीले पदार्थों की कीमतों पर हमेशा से वृद्धि होती आई है ।इन चीजों को मुद्रित मूल्य से अधिक कीमतों पर दुकानदार बेजते हैं फिर भी किसी नशेड़ी ने आज तक इनका विरोध नहीं किया।बल्कि नशा चढ़ने पर इससे अधिक कीमत देना अपनी शान समझते हैं।


हाल ही में उड़ीसा सरकार ने कोविड-19 और लाॅकडाउन की वजह से हुए राजस्व की क्षतिपूर्ति के लिए शराब की कीमतों पर 50% की वृद्धि करने के साथ दुकानों को खोलने का फैसला लिया शराबियों ने लगभग 2 महीने से बंद शराब की दुकान खुलने पर खुशी जाहिर करते हुए हाथों हाथ शराब को बढ़ी हुई कीमतों पर लिया । लेकिन किसी शराबी ने इसका विरोध नहीं किया ना तो सरकार को गालियां दी, नाही धरना प्रदर्शन हुए, और ना ही सोशल मीडिया में इस बढ़ी हुई कीमतों के प्रति किसी ने नाराजगी जाहिर की।


इससे पता चलता है शराबी देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के प्रति कितने जिम्मेदार हैं, ऐसे शराबियों को सम्मानित करना चाहिए ! शराबियों ने कभी शराब की गुणवत्ता को खराब नहीं होने दिया खुद भले ही नल,कुआँ,या अन्य जगहो से साधारण पानी पी लेते हैं लेकिन शराब में हमेशा बोतलबंद आरो का ही पानी मिलाते हैं। शराब के खरीदार दुकान के आगे चाहे जितनी भीड़ हो पर कभी धक्का-मुक्की ,गाली-गलौज,या मार-पीट करने के समाचार नहीं मिलते ! लाॅकडाउन के चौथे चरण में जब शराब के दुकान खोले गए तो इसके खरीदार कायदे से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक पंक्ति में खड़े होकर शराब की खरीदारी की।यहां पर शराब के खरिदारो का अनुशासन देखते ही बनता था ।


राजनैतिक क्षेत्र में भी शराब का बड़ा महत्व है। कभी किसी भी पार्टी ने चाहे वह सत्ता पक्ष हो या विपक्ष शराब की बढ़ी हुई कीमतों पर कभी बहस नहीं किया। कभी भी बिपक्ष ने शराब के मुद्दे पर सत्तापक्ष को नहीं घेरा। शराब की बढ़ी हुई कीमत को लेकर कभी धरना या प्रदर्शन भी नहीं हुए। होली,दशहरा, लॉक डाउन हो या किसी भी तरह की बंदी हो। शराब की ब्लैक मार्केटिंग का कभी बिरोध नही हुआ। इसके विपरीत इसे बढ़ावा ही मिला। लाॅक डाउन के दौरान 600 का शराब 2000 से 3000 तक में बिकने की खबर मिली लेकिन किसी ने भी इसकी चुगली नही की।शराबियो के पास विक्रेताओं की पूर्ण जानकारी थी लेकिन इसकी गोपनीयता को भंग नहीं होने दिया । शराब के प्रति शराबियों की वफादारी वाकई काबिले तारीफ़  है |