*साधु सन्यासी हमेशा से हमारे समाज के मार्गदर्शक रहे हैं ।(हरहर शम्भू चौधरी मास्टर इन जोर्नालिज्म)*

साधु सन्यासी हमेशा से हमारे समाज के मार्गदर्शक रहे हैं ।(हरहर शम्भू चौधरी 
मास्टर इन जोर्नालिज्म)


इतिहास गवाह है की
 गौतम बुद्ध ,विवेकानंद ,पतंजलि, जैसे सन्यासियों के मार्गदर्शन एवं विचारों ने हमारे समाज को उन्नत बनाया है।
 हमें हमारे साधुओं पर गर्व करना चाहिए क्योंकि उनके बताए हुए विचारों से हमे हमारे जिंदगी मे कई समस्याएं से लड़ने की शक्ति ही नही मिलती है बल्कि कई साकारात्मक बदलाव भी आए है।


ऐसे में पालघर में पुलिस की मौजूदगी में दो सन्यासियों का कत्ल किसी भी इंसान को व्यथित कर सकती है।
 यहां सवाल यह उठता है कि जब पूरा देश लॉकडाउन है ,ऐसे में इतनी भीड़ जुटी कैसे ।।
 पुलिस की मौजुदगी मे चालक समेत दो साधुओ का भीड़ द्वारा बेरहमी से हत्या किया जाना कई सवाल खड़े करता है।
 आज इन साधुओ के कत्ल ने पूरे हिंदू समाज को ही नहीं साधुओं और सन्यासियों के वर्ग को भी क्रोधित कर दिया है।
 जिस तरह से सोशल मीडिया में इसके प्रति गुस्सा फूट रहा है इसमें कोई शक नहीं कि लाॅकडाउन खुलने के बाद यह एक राष्ट्रीय मुद्दा बनकर गरमा जाए।
पुलिस की मौजूदगी में हुए इस हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं!
 महाराष्ट्र की सरकार अपने बचाव में यह कह रही है की साधुओ को धोखे से चोर समझ कर गलतफहमी में मारा गया है,
लेकिन सवाल यह उठता है कि उसी महाराष्ट्र में 26 /11 के आतंकवादी हमले ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली लेकिन  पकड़े गए आतंकवादी को भीड़ के हवाले नहीं किया गया 
ऐसे ही कई उदाहरण है जिसमें आतंकवादियों को सिर्फ सलाखों के सिवा और किसी तरह के सजा का जिक्र नहीं मिलता है ।
कई ऐसे बलात्कार भी की ही घटनाएं हैं जिसमे उग्र भीड़ ने बलात्कारियों को पुलिस से छीनना चाहा लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया और बलात्कारियों को जेल भेज दिया गया।
पालघर की इस घटना में महाराष्ट्र सरकार का यह कहना कि उन्हें चोर समझकर गलतफहमी में मार दिया गया कहां तक उचित है, वह भी तब जब वहां पुलिस मौजूद थी।
साधुओं की वेशभूषा ही नहीं उनका शारीरिक परिचय भी एक आम इंसान से भिन्न होता है।
 फिर एक 70 साल का वृद्ध क्या किसी चोरी को अंजाम दे सकता है ।
क्या चोर पूरे ठाटबाट से चरपहिया वाहन लेकर  चोरी करने आते हैं ।


समाचार चैनलों में  यह कहा गया है कि वहां पर  वामपंथी  नेता मौजूद थे  इससे कहीं ना कहीं यह है कि षडयंत्र की तरफ इशारा करता है।
प्रश्न यह उठता है कि ऐसी घटनाएं गैर भाजपा राज्य में ही क्यों घटित होता है चाहे वह कश्मीर हो बंगाल हो कमलनाथ सरकार की मध्य प्रदेश हो या फिर आज का महाराष्ट्र।


क्या यह नहीं लगता है की केंद्र की भाजपा सरकार को यह लोग बदनाम करना चाहते हैं या फिर हिंदुओं को परेशान करना या कुचल देना चाहते हैं ।
या फिऋ एक खास विचारधारा के लोग इस देश में अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं और अपना वर्चस्व खोता देख अपना आपा खोकर अपना दबदबा कायम करने के लिए ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।