*रमजान 25 से शुरू घरो में ही करें इबादत अफ़ज़ल खान पत्रकार*

*रमजान 25 से शुरू घरो में ही करें इबादत अफ़ज़ल खान पत्रकार*


मस्जिदों में तराहबी नहीं अदा करने का मुसलमानों को मलाल


बदायूँ । अल्लाह की मरजी के आगे किसी की भी नहीं चलती है। अल्लाह जो भी करता है। वेहतर ही करता है। इंशाअल्लाह 25 अपरैल से रमजान मुबारक माह की आमद है। रमजान मुबी माह के रोजे रखकर इबादत करना हर वालिग मुसलमान पर फर्ज  हैं। रमजान के मुबारक महीने में शैतान को कैद कर दिया जाता है और रोजेदारो की हिफाजत के लिये अल्लाह रब्बुल इज्ज़त रहमत के फरिश्ते भेज देता है। ताकि रोजेदारों को कोई परेशानी का सामना न करना पडे। नमाज़-ए-तराहबी रमजान के मुबारक महीने की खास इबादत है। इस इबादत में बीस रकअत नमाज़-ए-तराहबी के साथ-साथ कुरआन हाफिज़ लोग कुरआन-ए-पाक की तिलावत करते हैं। मगर इस कोरोना महामारी के चलते मस्जिदो के दरवाजे बंद हैं। पता नहीं इसमें रब्बुल आलमीन अल्लाह पाक की क्या मरजी है। कि इस साल लोगो को तराहबी में कुरआन-ए-पाक की तिलावत सुनने का मौका नहीं मिलेगा तराहबी की नमाज भी लोग आलमतराह की तिलावत से अपने-अपने घरों में ही अदा करेंगे । लोगों का अपना मानना है कि पता नहीं इसमें भी अल्लाह की क्या मरजी है। अल्लाह हर मुसलमान को रमजान मुबारक माह के रोजे रखने की हिम्मत दे। और रमजान के रोजो की फजीलत से कोरोना महामारी को जड से मिटा दे।
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मस्जिदों से सहरी के ऐलान की दे इजाजत


माहे रमजान में सहरी के टाइम मस्जिदो से ऐलान होने की पुरानी प्रथा है। प्रशासन को चाहिए कि जिस तरह पांच टाइम मसजिदों से आजान होने कि इजाजत है उसी तरहा सहरी के टाइम ऐलान करने का फरमान जारी करदें। ताकी रोजा रखने बालो को परेशानी का सामना न करना पडे।