*पत्रकार को नहीं मिलता है पत्रकारिता का लाभ (वशीर)*

*पत्रकार को नहीं मिलता है पत्रकारिता का लाभ (वशीर)*


तैनात पुलिस प्रशासन भी करता हैं सुनी अनसुनी


फर्जी पत्रकारों का अधिकारियों से रहता है तालमेल खूब चलती है मनमानी


पत्रकारिता एक रचना शील विद्या है. इसके बिना समाज को बदलना असंभव है .इससे मौसम पक्षी यूं ही नहीं कहा जाता .पत्रकार जिस प्रकार मौसम और हालात की परवाह किए बिना ,अपने कर्तव्य को निभाने में जिस तरह दिन रात एक किए रहता है ,वह कोई मामूली काम नहीं है .लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता को  यूं ही नहीं कहा जाता  .इसकी  भूमिका समझने के लिए हमें इसके महत्व पर दृष्टिपात  करना होगा .मानव का यह हमेशा से स्वभाव रहा है कि उसका अंतर्मन हमेशा समाज ,क्षेत्र ,देश और विदेश के बारे में कहां ,कब ,कैसे ,क्यों आज के उत्तर को पाने की उत्सुकता और लालसा बनी रहती है और समाज की इन सभी जिज्ञासाओं को शांत करने का कार्य करने वाला एकमात्र साधन पत्रकारिता ही है .आज देश की जिस प्रकार विपरीत परिस्थितियां चारों ओर व्याप्त हैं .उस हालात में पत्रकार अपने जोश और जनता के प्रति जवाबदेही को किस प्रकार संभव बना रहा है .आज दिन ,प्रतिदिन इस प्रकार की खबरें अखबारों तथा न्यूज़ चैनलों पर आती रहती हैं कि फला  पत्रकार पर हमला या पत्रकार की हत्या इस तरह देखा जाए तो आज हमारा पत्रकार किस प्रकार अपनी जान को जोखिम में डालकर अपना कर्तव्य निर्वहन कर रहा है .यह किसी से छिपा नहीं है. आज जब हम सुबह नाश्ता करने बैठते हैं तो सबसे पहले हमें अपनी नाश्ते की टेबल पर हम अखबार  पढ़ना चाहते हैं .कि आज देश में  क्या क्या हुआ .जब तक हम यह नहीं जान लेते ,हमारा सुबह का नाश्ता अधूरा रहता है. सोचो, आज हमें देश समाज दुनिया के  समाचार ना मिल पाए तो हमें कैसा महसूस होगा ?समाज का इतना महत्वपूर्ण कार्य करने वाला व्यक्ति आज समाज में दिन-ब-दिन इस बात को लेकर परेशान है कि कब तक सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए अनदेखी करती रहेगी? और कब  कार्य के महत्व को देखकर भी उसकी आर्थिक समस्या के बारे में गौर  करेगी. आज उच्च कोटि के पत्रकारों को अगर छोड़ दें तो यह सहज ही अंदाजा हो जाएगा कि आधार श्रेणी के पत्रकारों का जीवन यापन कितने बदतर हालात में हो रहा है. वर्तमान के परिपेक्ष में व्यक्ति की सबसे बड़ी समस्या उसकी आर्थिक समस्या ही है .वर्तमान सरकार सभी वर्ग के मानवों के हितों का संरक्षण व संवर्धन करने हेतु हमेशा प्रयासरत रही है हम सभी पत्रकार समाज आपसे निवेदन और याचना कर रहा है कि पत्रकारों की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करनी हेतु  न्यूनतम आर्थिक सहायता निश्चित करने का प्रावधान करें ताकि हम एक और मजबूत समाज की स्थापना हेतु और अधिक परिश्रम करने हेतु अग्रसर हो सकें . अंत में एक सवाल ,जिस प्रकार डॉक्टर और पुलिस के जवानों को आज   कोरोना योद्धा के रूप में जाना जा रहा है क्या हम हमारा कोरोना योद्धा के रूप में जानकर   मान नहीं रखा जा सकता..