कोरोना कर्मवीरों के स्वागत कार्यक्रमों में लोग सोशल डिसटेंन्सिंग का करेें पालन, लापरवाही करना देेेशवासियों के साथ छल के समान : अमित पिप्पल

कोरोना कर्मवीरों के स्वागत कार्यक्रमों में लोग सोशल डिसटेंन्सिंग का करेें पालन, लापरवाही करना देेेशवासियों के साथ छल के समान : अमित पिप्पल



बदायूँ। अखिल भारतीय युवा पत्रकार संघ के जिला प्रभारी अमित पिप्पल ने कोरोना कर्मवीरों के स्वागत सम्मान कार्यक्रमों में सोशल ड़िस्टेन्सिंग के पालन में लापरवाही करने पर आपत्ति जताई है। उन्होने कहा कोरोना से देश पर मड़राते संकट के इस काल में लोग जहां अपने अपने घरों में लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। और जरूरत के समय ही घरों से बाहर निकलने पर सोशल डिसटेंसिंग का भी ध्यान रख रहे हैं। बहीं इस संकट की घड़ी में यह कर्मवीर अपने स्वास्थ्य की तनिक भी परवाह न करते हुए, परिवार सेवा से बढ़कर देश सेवा में अपनी अपनी ड्यूटी को बखूबी निभा रहे हैं। जिसकी प्रशंशा देशभर में प्रत्येक वुद्धिजीवी द्वारा की जा रही है। जिसके चलते समाजसेवी एवं वुद्धिजीवी वर्ग पुलिस कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी, सफाईकर्मी आदि के स्वागत कार्यक्रमों को वरियता देते हुए, विभिन्न जगहों पर स्वागत कार्यक्रमों की होड़ सी लगी हुई है। कहीं फूलो से तो कहीं फल बांटकर तो कहीं तिलक लगाकर तो कहीं आरती उतारकर इन कोरोना योद्धाओं/ कर्मवीरों का स्वागत बढ़चढ़ कर किया जा रहा है। जिसके ये सभी कर्मवीर पात्र भी हैं। पर केबल स्वागत सम्मान की होड़ के साथ सोशल डिस्टेन्सिंंग का पालन भी जरूरी और सभी की जिम्मेदारी भी है। जिसे झुटलाया नहीं जा सकता। आपको बतादें की इक्का दुक्का जगह तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता दिखाई देता है परन्तु अधिकतर जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग के पालन में लापरवाही देखने को मिलती है। जो कर्मवीरों एवं समाजसेवियों दोनों के लिए मुसीबत पैदा कर सकती है।


हालांकि उन लोगों का सोशल डिस्टेंसिंग का उलंघन करने का कोई विचार भी नहीं होता है परन्तु इस तरह की लापरवाही को अनदेखा करना भी स्वयं और देशवासियों के प्रति किसी धोखे से कम भी नहीं समझा जा सकता। एक ओर देश के यजस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी की चैन को सोशल डिस्टेंसिंग के पालन से इसकी चैन तोड़ने का काम एवं जनहित को विभिन्न कार्यों को किया जा रहा है। जहां राज्य की सरकारें भी इसमें पीछे नहीं हैं। 


बहीं कोरोना कर्मवीरों के स्वागत के नाम पर फल एवं राहत सामग्री बांटने के नाम पर सोशल डिस्टेंसिंग को तोड़ना भी कोरोना चैन को तोड़ने के बजाए कोरोना की चैन को मजबूती देने के समान ही है। जिसे एक तरीके से देश बिरोधी कहना बिलकुल गलत नहीं होगा। जो एक दण्डनीय अपराध ही है। इस प्रकार की लापरवाही करना देश की जनता एवं स्वयं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा ही है। 


इन स्वागत कार्यक्रमों के आयोजन पर सरकार को कड़ा रवैया अपनाना ही होगा जो की देशवासियों के हित में ही होगा। जिला प्रशासन को भी इन कार्यक्रमों को अनदेखा करना बढ़ी मुशीबत का कारण बन सकता है।