कहाँ है सिवई-फेनी और खुजूर ,,, इसमें रोजेदारों का क्या है कुसूर... अफज़ल खाँन पत्रकार

कहाँ है सिवई-फेनी और खुजूर ,,, इसमें रोजेदारों का क्या है कुसूर... अफज़ल खाँन पत्रकार


 


बदायूँ । कोरोना वायरस महामारी से बचने को लेकर दुनियां भर के लोग लाँकडाउन का पालन करते दिखाई दे रहे हैं। अल्लाह के रहमतों करम से रहमतो और बरकतो बाले रमजान मुबारक माह की आमद  की मुस्लिम लोगो   में बहुत खुशी दिखाई दें रही है। मगर साथ ही अभी तक सिवई-फेनी व खुजूर के दीवार नहीं होने का रोजे रखने बाले लोगो को बड़ा मलाल है। 
मानना है सिबई-फेनी और अरब देश का फल खुजूर रमजान का तोहफा है। और यह रमजान के तोहफे सिवई-फेनी और खुजूर रमजान मुबारक माह के आने से पहले ही बाजारों की रौनक बन जाती है। जिसे देख कर रमजान मुबारक माह की आमद का लोगो को पता भी चलता है। बड़ा अफसोस है कि रमजान शरीफ के मुबारक महीने की तो आमद हो गई है। मगर लाँकडाउन की वजह से अभी तक रमजान मुबारक माह के तोहफे  सिवई-फेनी और खुजूर के  दीदार ही नहीं हुये है। जिसकी वजह से रमजान मुबारक  माह की आमद का पता ही चल रहा है ।
लोगो का मानना है कि सिवई-फेनी के पकवानो का मज़ा तो रमजान शरीफ और ईद-बकरीद में ही आता है । और खुजूर से रोजा इफ्तार करना बड़ा सबाब व सुन्नत है। जिसको मद्देनजर रखते हुये लोग सबाब व सुन्नत की गरज से रोजेदार लोग रोजे का इफ्तार करने में सबसे पहले खुजूर का इस्तेमाल करते है। लोगो का मान्ना है। कि प्यारे नबी हुजूर-ए-अकरम मौहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैह वसल्लम को भी खुजूर बहुत पसंद थी और प्यारे नबी भी खुजूर से ही इफ्तार किया करते थे।  प्यारे नबी की सुन्नतों  पर कायम दायम रहना हर मुसलमान के लियें जरूरी है।