*बदलाव की  सुबह (कोरोना कॉल)*

*बदलाव की  सुबह (कोरोना कॉल* )
                                       मैं सुबह बैठा हुआ अखबार पढ़ रहा था कि तभी अचानक मेरे मोबाइल की रिंग बजी देखा तो मेरे एक डॉक्टर मित्र का फोन था सुप्रभात अभिवादन के बाद मैंने पूछा ,'और कैसा चल रहा है काम धाम 'बोले ,यार काम का क्या है वह तो कोरोना ने बेकार कर दिया सुनकर मेरा ध्यान अनायास ही कुछ दिन पूर्व  की परिस्थिति  की तरफ चला गया साथी  सकारात्मकता  भी  इंगित होने लगी .सोचा ,यार कितनी बढ़िया ओपीडी चलती थी इस बंदे की ,तभी मैंने दो-तीन दूसरे डॉक्टर मित्रों से बात की ,सभी का जवाब लगभग पहले ही जवाब से मेल खा रहा था Iसभी के जवाबों के बाद मैं एक निष्कर्ष पर पहुंचा. कि कुछ भी हो कोरोना के कारण समाज में कुछ मानसिकता में बदलाव के कारण बीमारियों की यदा-कदा होने वाली परेशानियों में अचानक कमी आ गई है lहम बाहर का खाना छोड़ चुके हैं जिससे फास्ट फूड आदि के कारण बॉडी में होने वाले विकारों में परिवर्तन हुआ है lदूसरी तरफ प्रदूषण की मात्रा अचानक ही पूर्णता शुद्धता की ओर अग्रसर होती हुई  प्रतीत हो रही है जिसके कारण  स्वच्छ वायु से शरीर में रक्त की शुद्धता बढ़ी है और हम एंटीबॉडी के रूप से सुदृढ़ हुए हैं हमारे सोचने खाने-पीने उठने -बैठने मिलने-जुलने तथा कार्य पद्धति के बदलने अपने परिजनों  के पास रहने उनसे व्यवहार में अपनी आत्मीयता के बढ़ने आदि के कारण आज हम प्रकृति के कुछ अधिक नजदीक हो गए हैं .हमें ध्यान रखना होगा कि  कोरोना का  भय   चाहे जितना डरावना हो  सबसे सुखद स्थिति यह है कि आप परिवार के साथ हैं . एक दूसरे को जान समझ रहे हैं. बच्चों को समय दे रहे हैं . लेकिन जब मैं इस तरह की बातें सोचता हूं  तो अनायास उन गरीब लोगों का चेहरा आंखों के सामने घूमने लगता है  जिनके पास कोई काम नहीं है .खाने को रोटी नहीं .सिर ढकने को छत नहीं . सोशल डिस्टेंस इन का उनके लिए कोई मतलब नहीं. जिनके पेट खाली हैं  .हिमायतो की बातें उनकी मजबूरियों के आगे बहुत ओछी और सस्ती रखती हैं  .अक्सर मेरे मन में इस तरह के ख्याल घूमते हैं  लेकिन उससे कोई मुकम्मल तस्वीर सामने नहीं आती   .कोरोना को रोकने के प्रयासों का सम्मान करते हुए  हम  संवेदनशीलता और भाईचारे का संदेश तो दे ही रहे हैं  . मन  की परेशानियां खोलिए  और कुछ रचने की कोशिश कीजिए  .सार्थक और सकारात्मक .वर्तमान परिपेक्ष में प्रतिदिन हो रहे बदलाव के सकारात्मक बिंदुओं से को नोट करके भविष्य के लिए एक अच्छे मानव की रूप में स्वयं को तैयार कर सकते हैं .जो प्रत्येक दृष्टिकोण से समाज परिवेश राज्य देश व विश्व का एक सच्चा मानव बनने का रास्ता खोलेगा इसी के साथ मैं एक बात और कहना चाहूंगा ...जिंदगी बीत जाती है खुद को और दुनिया को समझने में 
लेकिन जब समझ में आती है तो जिंदगी की शाम हो जाती है..
बदलाव की घड़ी है अभी नहीं तो कभी नहीं