ये कैसा राज है भाई:डॉ.लवकुश पटेल

ये कैसा राज है भाई
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इक कथा सुनो रे लोगो
हम मजदूरो की करुण कहानी
और करीब से जानो 
इक कथाआ सुनो रे लोगो
भाईयो...बहिनो... बहिनो...भाईयो


अपनी मेहनत से भाई, धरती की हुई खुदाई
माटी मे बीज को बोया, धरती को दुल्हन बनाई
पसीना हमने ही बहाया, भूपति ने खूब कमाया
अरे साहूकार के कर्ज ने हमको गाँव से शहर भगाया
अरे दाने दाने को मजदूर तरसे
जीने की कठिनाई, ऐसा क्यो है भाई, क्योकि---
ये सामंती राज है
खाने को दाना नही
पीने को पानी नही
ओढ़ने को कपडा नही
ये कैसा राज है भाई, ये झूठा राज है भाई
भाईयो...बहिनो....बहिनो...भाईयो


अपनी मेहनत से भाई, काटन का सूत बनाया
उसको चढाया व्हील पर, कपडा हमने ही बनाया
कपडे को रंग बिरंगी झालर भी चढाई हमने
टी.बी. को भी अपनाया और माल कमाया धनी ने
अरे हम अधनंगे मुर्दाघाट पे
कफन की भी मँहगाई
ऐसा क्यो है भाई क्योकि...ये मालिको का राज है
अब खबर सुनो इक ताजी, सरकार की सौदेबाजी
धनवानो को खुश रखने की, हमसे ही की दगाबाजी
इक कानून पास कराया, हमे गुनहगार ठहराया
झोपडे पुलिस के हाथो बेरहमी से तुड़वाया
अरे तीन साल कीयसजा भी हो गई, 
और मिली पिटाई, ये कैसा राज है भाई..


अब जात धर्म को छोडो, मजदूर का रिश्ता जोडो
ऐसे संगठन के बल पर, झूठे संसद तोडो
जब अपना शासन होगा, सबके घर राशन होगा
दुनिया मे मजदूर के बल पर मजदूरो का शासन होगा
अरे नारा लगाओ इन्कलाब का
तब ही मिटेगी बुराई
ये सब कब होगा भाई
जब मजदूर का शासन होगा
खाने को दाना होगा
पीने को पानी होगा
रहने को घर होगा
ओढ़ने को कपडा होगा
ऐसे राज को लाना भाई!
भाईयो...बहिनो...बहिनो...भाईयो
ऐसे राज को लाना भाई
     डॉ.लवकुश पटेल: