लॉकडाउन को 'अनलॉक', होने पर बरतनीं होंगी सावधानियां-आशीष Kr. उमराव पटेल

लॉकडाउन को 'अनलॉक', होने पर बरतनीं होंगी सावधानियां
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देश ने लॉकडाउन का करीब डेढ़ महीना पूरा कर लिया है। केंद्र और राज्य सरकारें लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए सही रणनीति को लेकर चर्चा कर रही हैं। हालांकि कई तरह की शंकाएं भी हैं। वैसे भी बिना शंका के क्या कुछ होगा, लॉकडाउन ने हमारे जीवन को बदल दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इसने हमारी जिंदगी पूरी तरह बदलकर रख दी है। 


आइए कुछ महीने पीछे चलते हैं, शायद फरवरी में। सड़कों पर भीड़, खचाखच भरा सार्वजनिक परिवहन, रेलवे स्टेशन पर जबरदस्त भीड़, बस अड्डों पर लोगों की कतारें, एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़, ऑफिस, कैंटीन्स, रेस्तरां, शॉपिंग मॉल्स, रिक्शा में बच्चे, स्कूल में बच्चे और भी कई जगह। इन सबके बिना जीवन असंभव सा लगता है।


फिर भी, पिछले कुछ महीनों में सबकुछ बदल गया है। जो पहले हमारी जीवन का अपरिहार्य हिस्सा था वह सबकुछ अब एक अलग दुनिया की चीज लगती है।


अभी हम घर के अंदर रहने वाली दुनिया में हैं। घर से काम कर रहे हैं। जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए ही बाहर निकल रहे हैं। चेहरा और नाक ढके हुए बाहर निकल रहे हैं, सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल रख रहे हैं, कोई पार्टी नहीं, कोई लॉन्ग ड्राइव नहीं, कोई खेल नहीं। आत्मसंयम जीवन का हिस्सा बन गया है।


तो क्या लॉकडाउन में ढील दिए जाने या खत्म होने के बाद जीवन फिर पुराने ढर्रे पर लौटेगी? क्या हम कोविड-19 से पहले की तरह बाहर जाए पाएंगे? चारों तरफ देखिए, ऐसा लगता है कि कई लोग वास्तव में यह सोच रहे होंगे कि यह कैसा होता होगा।


मैं उन सभी को कहना चाहता हूं, आपको निराशा हाथ लगने वाली है। क्योंकि जो भी मौजूदा संकेत हैं, उनसे यही पता चलता है कि कोविड-19 का वैक्सीन और इलाज मिलने तक शहरी लोगों का जीवन लॉकडाउन के दौरान वाला ही होगा। भले ही चाहे प्रतिबंधों को हटा ही क्यों न दिया जाए। और कई जगह यह साल से डेढ़ साल तक रहने वाला है, वह भी तब जब मौजूदा अनुमान के तहत सबकुछ घटित हुआ तो।


वास्तव में जब वैक्सीन की खोज हो जाएगी तब भी इसमें समय लगेगा। पहला, हमें इसकी पर्याप्त मात्रा उपलब्ध करानी होगी। अगर कई दवा कंपनियां एकसाथ मिलकर काम करें और उसका उत्पादन करें तब भी धरती पर रहने वाले करीब 8 अरब लोगों को तुरंत इससे इम्युनिटी हासिल होना मुश्किल होगा। इसमें सालों लगेंगे।


तो तब तक क्या?
क्या कोई सरकार सबकुछ खोलने का खतरा मोल लेगी? यह संभव नहीं लगता।


लॉकडाउन हटाने या उसमें ढील देने या नहीं देने से पहले यह अनुभव सभी सरकारों के जेहन में चल रहा होगा। ईमानदारी से कहूं तो कोई भी पूरी तरीके से आश्वस्त नहीं होगा। क्या आप कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए सख्ती से लॉकडाउन लागू करवाने के पक्ष में हैं या फिर आप इसे हटा देंगे ताकि लोगों की नौकरी जाने और अन्य नुकसानदेह आर्थिक नतीजों का खतरा कम हो सकें।


असल में, सरकारें चाहे जो कदम उठाएं, हमारे जीवन में आने वाले कुछ समय तक प्रतिबंध तो रहेंगे ही.... 
ऑफिस के अंदर, सैनिटाइज, सोशल डिस्टेंसिंग नियमों और मीटिंग के नियमों का पालन करना होगा। मतलब कुछ भी पहले जैसा नहीं रहेगा। इसका साफ मतलब होगा कि कई कंपनियां, जो घर से काम करवा रहीं हैं उन्हें इसे जारी रखना होगा या फिर अनिवार्य करना होगा।


-पब्लिक ट्रांसपोर्ट में इसी तरह के प्रतिबंध रहेंगे।
हम यहां ढीले नहीं पड़ सकते हैं। हमें बच्चों, बुजुर्गों और की देखभाल करनी होगी। हमें घबराने की जरूरत नहीं है।


हम होंगे कामयाब!


~आशीष Kr. उमराव "पटेल", कैरियर & एकेडेमिक मेंटोर, स्पीकर, मोटीवेटर, निदेशक- गुरु द्रोणाचार्य (IIT-JEE, NEET & NDA इंस्टिट्यूट), फ़ोन & व्हाट्सप्प-8650030001, like, follow / subscribe me on-facebook, instagram, twitter, linkedin & youtube.