चालीस साल से करते आ रहे है अहतेकाफ की इबादत,लाँकडाउन के चलते  इस साल घर पर करेंगे

चालीस साल से करते आ रहे है अहतेकाफ की इबादत


लाँकडाउन की बजह से  इस साल घर पर करेंगे अहतेकाफ की इबादत


बदायूँ । रमज़ान मुबारक माह के महीने में लाँकडाउन की बजह से मस्जिद में नहीं  घर के कोने में ही करेंगे इकतालीसवीं  साल अहतेकाफ की इबादत ।
नगर के मौहल्लाह नई सराये निवासी हजरत हाजी सलीम बाबा पिछले चालीस साल से रमजान मुबारक माह में जामा मस्जिद शम्शी  में बैठ कर अहतेकाफ की इबादत करते रहे हैं। मगर इस साल कोरोना महामारी व लाँकडाउन के चलते मस्जिदें बंद होने की बजह से इस साल अपने घर के कोने में ही बैठ कर अहतेकाफ की इबादत करेंगे । मानना है कि अहतेकाफ की इबादत करने बाले को  इबादत के दिनों अपने घर बार और दुनियां दारी  से कोई मतलब व लेनादेना नहीं रहता है। वलकी दनियां दारी भी तयाग कर  मस्जिद के सुनसान कोने में पर्दे के बीच रहकर ही अहतेकाफ की इबादतो में मशगूल रहना पडता है। अहतेकाफ की इबादत के लियें ज्यादातर लोग रमज़ानज मुबारक माह के आखरी अशराह मतलब बीस वें रोज़े से बैठते हैं।और ईद का चाँद होने की खबर सुनने के बाद ही अहतेकाफ की इबादत मुकम्मल करके बाहर आते है।
अहतेकाफ की इबादत हर कोई नहीं बल्कि हजारों में कोई करता है। इस इबादत का सबाब भी बहुत जयादा मिलता है।